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किशोर: प्यार अजनबी है

>> सोमवार, 1 मार्च 2010

पिछले दिनों किशोर ‍कुमार पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री देखने को मिली। मोज़र बेयर इंटरटेनमेंट लि. द्वारा निर्मित और संदीप राय द्वारा निर्देशित 'ज़िन्दगी एक सफर किशोर कुमार' लगभग दो घंटे बीस मिनट की फ़िल्म है। इसमें किशोरदा के परिजनों के साथ-साथ उन लोगों के साक्षात्कार भी हैं जिन्होंने उनके साथ काम किया है, जिन्होंने उनके साथ समय गुज़ारा है, जो उनके समकालीन रहे हैं। सभी लोगों से चर्चा, मशहूर रेडियो उद्घोषक अमीन सयानी साहब ने की है। इस फ़िल्म को देखकर लगता है कि यह बहुत साल पहले शूट की गई होगी। अमित कुमार बहुत युवा नज़र आए हैं और 'जादूगर' और 'तूफान' के दौर के अमिताभ हैं, शम्मी कपूर के बचे बाल काले हैं और खिचड़ी दाढ़ी में सफेदी कम। आज तक किशोर कुमार के बारे में पत्र, पत्रिकाओं, दूरदर्शन आदि से ही जानने को मिला था। इस फ़िल्म से किशोर दा के जीवन और शख्सियत के बारे में थोड़ा और जानने को मिला। फिर भी ऐसा लगता है कि यह आदमी वह नहीं है जो ऊपर से लोगों को नज़र आता रहा या फिर उसने ही खुद को लोगों के सामने ऐसा पेश किया।



किसी फ़िल्म का नायक किशोर कुमार हो तो आमतौर पर यही लगता है कि अभी वो नाचता-गाता, यूडलिंग करता आएगा और अपनी हरकतों से सब हँसाएगा। पर शायद किशोरदा अपने अंदर पता नहीं कितना दर्द समेटे हुए थे। उनकी गाए हुए गीत सुन कर लगता है कि गीतो में पीड़ा उन्होंने अपने अंदर से उड़ेली थी। लोग या फिर मी‍डिया उनकी कंजूसी या खब्त के किस्से बयां करते रहे और हम कभी पूरी तरह से नहीं जान पाए कि वो शख्सियत क्या थी। क्या वो सिनिक थे या फिर एक टेलेंट की कुछ सनक थी। या दूसरे शब्दों में कहें तो वो एक मूडी इंसान थे, अब इतनी छूट तो मेरे ख्याल से एक कलाकार को मिलनी ही चाहिए। शायद उन्होंने एक दायरा बना रखा था जिसके अंदर वो शायद ही किसी को आने देते हों। एक स्पेस, जो उस हरफनमौला इंसान ने तय किया था। उसका अपना स्पेस जिसमें बहुत ही आत्मीय लोगों को जगह मिली हो।


खैर, मैं उस शख्स पर कुछ लिखूँ तो वो सागर में से दो बूँद के बराबर होगा। मैंने उस डॉक्यूमेंट्री में उनकी एक ऐसी फ़िल्म के कुछ सीन देखे जो डिब्बाबंद होकर रह गयी। फ़िल्म थी 'प्यार अज़नबी है' और यह किशोर कुमार प्रोडक्शन के तहत ही बन रही थी। हीरोइन, किशोरदा की पत्नी लीना चंदावरकर थी, जो उस समय उनकी पत्नी बनी नहीं थीं। फ़िल्म के नायक किशोर ही थे। निर्माता, निर्देशक, गायक और संगीतकार भी किशोर कुमार थे। फ़िल्म का लेखन और संवाद आदि भी उन्हीं के थे। संभवत: गीत भी उन्हीं के रहे हों, अभी खोजबीन पर इसकी जानकारी नहीं मिली है। ये फ़िल्म तो बनते-बनते रह गई, पर इसका संगीत भी बाज़ार में नहीं आ पाया। उस डॉक्यूमेंट्री में दो गीतों की झलक बताई गई है। दोनों अद्भुत हैं। किशोर दा ने गीत ऐसी रागिनी में बाँधे हैं कि सुनने वाला भी बँध कर रह जाता है। एक गीत का मुखड़ा 'प्यार अज़नबी है' है, इसकी कंपो‍ज़िशन इतनी सरल है कि जो बंदा गाना न जानता हो वह भी साथ में गुनगुनाने लग जाए, पर सरल होने के साथ ही बहुत ही मधुर भी है। गीत पियानो के पीस से शुरू होता है। धीरे से किशोर मुखड़े को शुरू करते हैं। मद्धम लय में रिदम लहराने लगती है और गीत उस पर तैरता हुआ सीधे दिल में उतरने लगता है।
किशोर के लिए किशोर। ना देव के लिए, ना राजेश के लिए और ना ही अमिताभ के लिए। महसूस होता है जैसे किशोर ने खुद के लिए गाया हो, न केलव पर्दे पर बल्कि असल जीवन में।
आवाज़ बिलकुल गोल्डन वॉइस, पीड़ा ऐसी जैसे गीत नहीं किसी ने पिघला सोना कान में उड़ेल दिया हो। हॉन्ट करती चिरयुवा आवाज़, किसी धुंधभरी सुबह में कोई भटकी आत्मा मुक्ति का गीत गा रही हो। जैसे कोई मांझी अपनी कश्ती लिए गाता जा रहा है अपने साहिल की तलाश में। तलाश किशोर की जीवन में किसी मंजिल की, किसी ठहराव की। बरसों की भटकन को जैसे एक ठाँव की ज़रूरत हो।


भटकन-पहला विवाह, रूमा गुहाठाकुरता, दो जीनियस एक साथ न रह पाए। अलग होना पड़ा। फिर मधुबाला का आगमन-दिलीप, भारत भूषण, प्रदीप कुमार से विवाह न होने का दर्द, किशोर-पहली पत्नी के विछोह का दुख। लोगों ने कहा प्रेम नहीं समझौता। किशोर दा शादी से पहले ही जानते थे वो नहीं बचेगी पर शादी की और अंत तक निभाया। योगिता बाली-शायद तेल और पानी का मेल। शायद यही भटकन किसी किनारे की खोज में थी। क्या किशोरदा फ़िल्म बनाने के लिए फ़िल्म बनाई या लीना में अपने जीवन का लक्ष्य ढूँढने के लिए ये गीत रचे। जो भी हो गीत में एक अचीन्हा दर्द है, बारिश मे दिनों में मोर की तड़पभरी कूजन जैसा। पर्दे पर भी किशोर के चेहरे पर यही दर्द नज़र आता है। पार्टी में जोड़े थिरक रहे हैं और किशोर एक मेज के पीछे बैठे गा रहे हैं। दूर क्षितिज पर अदृष्ट को देखती आँखें और अतल गहराई से आती आवाज़। एक अलख जगाता जोगी। जोगी किशोर, ठौर की तलाश में किशोर।

पूरे गीत में पियानो रिदम को सहारा देता रहता है, सैक्सोफ़ोन के सुर साँप से लिपट जाते हैं। इंटरल्यूड में पियानो अपने बोझ को धीमे से सैक्सोफ़ोन को थमा देता है और फिर वापस ले लेता है। साइड रिदम गैप को भरती चलती है। दो अंतरों में गीत पूरा होता है और हम निश्चल रह जाते हैं। बाहर सन्नाटा! पर अंदर किशोर की आवाज़ कहीं गहरे उतर गई है और गीत गूँज रहा है 'प्यार अज़नबी है'। पूरी कायनात में एक महक सी घुल गई है। लगता है जैसे दसों दिशाओं से किशोर ने गाना शुरू कर दिया है, सराउंड किशोर इफ़ेक्ट!

बार-बार सुनने पर भी अबुझ प्यास जगाने वाले गीत की ‍कविता पढ़िए-

प्यार अजनबी है जाने कहाँ से आए

जाने कहाँ से आए

प्यार अजनबी है जाने कहाँ से आए
प्यार अजनबी है जाने कहाँ से आए
कब जीवन में फूल खिलाए कब जीवन में फूल खिलाए
कब आँसू दे जाए

प्यार अजनबी है जाने कहाँ से आए

प्यार है वो रंगो का बादल जीवन पर जो छाए
मन चाहे तो बरसे वरना बिन बरसे उड़ जाए
कभी ये मन की प्यास बुझाए
कभी ये आग लगाए
रेत में ये मोती सा चमके शबनम सा खो जाए


प्यार अजनबी है जाने कहाँ से आए
फिर भी इसके पीछे पीछे मन दीवाना दौड़े
जब तक तन में सांस चले ये आस न इसकी छोड़े
एक पल मन को चैन ये दे तो इक पल चैन चुराए
ये अनदेखे ख्वाब सजाए ख्वाब यही दिखलाए


प्यार अजनबी है जाने कहाँ से आए
कब जीवन में फूल खिलाए कब जीवन में फूल खिलाए
कब आँसू दे जाए
प्यार अजनबी है जाने कहाँ से आए
जाने कहाँ से आए
जाने कहाँ से आए


अब गीत सुनिए:



और ये है छोटा सा उपलब्ध वीडियो:







दूसरे गीत के ऑडियो और वीडियो दोनों ही एक मिनट से भी कम अवधि के मिले हैं। आमतौर पर किशोर की आवाज़ में गज़ले कम ही सुनी हैं पर यह गीत बताता है कि यदि किशोर गज़ल गायकी में उतरे होते वहाँ भी शीर्ष पर रहते। साइड रिदम नाव के चप्पुओं से ताल मिलाती है। प्रेम को अभिव्यक्ति करते किशोर अभिनेता नहीं बल्कि रीयल लगे है। प्रेमी की देवी को सुरों के अर्घ्य चढ़ाता बंजारा। लीना क‍ी खूबसूरती देखिए इस गीत में। बिल्कुल महुए की महक और खिले टेसू। और गीत क्या है ऐसा लगता है जैसे किसी ने शहद में कांटा डुबोकर जुबां में चुभो दिया हो।


गीत के बोल हैं:


हमारी जिद है कि दीवानगी न छोड़ेंगे
हमारी जिद है कि दीवानगी न छोड़ेंगे
न तुम भी कोई क़सर रखना आज़माने में
जुनून ए इश्क भी क्या शै है इस ज़माने में


इस गीत का केवल वीडियो मिला है, इसका आनंद लीजिए:





किशोर कुमार के इन गीतों के प्रति ये केवल मेरी अनुभूति है। हो सकता है आपको वैसा न लगे जैसा मैंने अनुभव किया है। किशोर कुमार पर अधिक जानकारी मनीष कुमारजी ने अपने ब्लॉग पर पर दी है।

10 टिप्पणी:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen 1 मार्च 2010 को 6:38 pm बजे  

क्या यह सीडी बाजार में आ गयी है.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen 2 मार्च 2010 को 12:09 am बजे  

please mail me the mp3 of "pyar ajnabi hai" at cman@in.com -incitizen.blogspot.com

पंकज 3 मार्च 2010 को 12:09 am बजे  

इस फ़िल्म की चर्चा हाल ही में सुनने में आई थी मुझे भी पर कहीं से भी सीडी हाथ नहीं लगी!
अब तो ढुँढ कर देखनी ही पड़ेगी। और हाँ आपको दूसरी पारी की शुभकामनाएँ अब तो दोहरा शतक मार ही डालिएगा। उम्मीद है आपकी (और मेरी भी) पारी यूँ ही चलती रहेगी।

पंकज 4 मार्च 2010 को 12:27 am बजे  

अतुलजी मैं दरअसल डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म के बारे में कहा रहा था। वैसे अगर आपके पास सीडी उपलब्ध है तो फिर तो देखने मिल ही जाएगी! :D

Atul Sharma 4 मार्च 2010 को 11:23 pm बजे  

बिलकुल मिल जाएगी

ePandit 5 मार्च 2010 को 7:09 am बजे  

नये घर में वापसी पर स्वागत है आपका, बहुत सुन्दर पोस्ट के साथ शुरुआत की।

आपकी टैक-गुरुओं की लिस्ट में हम नहीं दिख रहे। :-)

Kulwant Happy 8 मार्च 2010 को 2:52 pm बजे  

जज्बातों का बहता दरिया किशोर: प्यार अजनबी है। किशोर दा के दर्द को अपने भावों में खूब व्यक्त किया है। इस लेखजाल को बुनने के लिए शब्दों के धागे बहुत संजीदगी के साथ पिरोए हैं।

पूनम श्रीवास्तव 15 मार्च 2010 को 9:37 pm बजे  

aapane kishor da ke baare me itani saari jaankaaridi jisake liye dil se aabhar . kishor da bahu mukhi pratibha ke dhani the .
poonam

Manish Kumar 25 मार्च 2010 को 12:28 am बजे  

pehle nahin suna tha yahan share karne ke liye dhanyawaad

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